*नौगढ़ के नर्मदापुर में अमरा भवानी धाम पर ताड़का वध और अहिल्या कथा का हुआ आयोजन संपन*।

 *नौगढ़ के नर्मदापुर में अमरा भवानी धाम पर ताड़का वध और अहिल्या कथा का हुआ आयोजन संपन*।


*मदन मोहन सत्य हिंदी टीवी*


नौगढ़ चंदौली दिनांक 1 मार्च  2024 को तहसील नौगढ़ के  नर्वदापुर गांव में शक्ति पीठ अमरा भवानी धाम पर चल  रही नौ दिवसीय संगीतमय  राम कथा के पांचवें  को  आसपास के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कथा वाचिका त्रिपाठी साधना शास्त्री ने कहा कि राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता है। कथा वाचिका ने श्रद्धालुओं को  श्री राम कथा का रसपान कराते हुए बताया कि भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब वापस अयोध्या आते हैं तो वहां विश्वामित्र का आगमन होता है। वह राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए अपने साथ ले जाते हैं। रास्ते में ताड़का राक्षसी सोई रहती है तो श्रीराम विश्वामित्र से  पूछते हैं कि यह भयानक शरीर वाली कौन है तो, विश्वामित्र बताते हैं कि यह ताड़का राक्षसी है जो साधु संत को पकड़ कर खा जाती है। इसलिए इसका वध करो, आज्ञा पाकर श्री राम ताड़का का वध करते हैं। ‌जय श्री राम के उद्घोष के बीच कथा वाचिका साधना शास्त्री ने बताया कि असुरों का वध के बाद दोनों भाई गुरु के साथ मिथिला के राजा जनक के यहां धनुष यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे तो, उन्हें रास्ते में एक आश्रम मिला। जहां एक विशाल पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। राम ने जब गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह गौतम ऋषि का विश्रामालय है, यह जो पत्थर देख रहे हो उनकी पत्नी अहिल्या है जो, श्राप के कारण पत्थर हो गई है। तब राम ने अहिल्या को तारना चाहा किंतु सूर्यवंशम में स्त्री को पैर से छूना मना था। राम की कृपा हुई तो  पवन देव ने अपने झोंकों से प्रभु के चरणों की धूल पत्थर पर डाल दिया। चरण राज पाते ही पत्थर नारी हो गई अहिल्या को प्रकट होते ही वहां ब्रह्मा शंकर समेत अन्य देव पहुंच गए और भगवान राम का जयघोष करने लगे। इस मौके पर कथा समारोह में  प्रमुख रूप से राम कथा समिति के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश सिंह,  यज्ञाचार्य पं रवि शुक्ला, राम  अलम, चंद्र प्रकाश उर्फ पप्पू दुबे,, लौवारी गांव के प्रधान यशवंत सिंह यादव, व्यापार मंडल से अभिमन्यु ,लाल साहब, सुरेश, गुलाब  गंगापुर गांव के प्रधान मौलाना यादव, भगवान सिंह समेत काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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