एक्शन एड द्वारा आयोजित नेशनल एकेडमी फार सोसल मूवमेंट के तहत मनाया गया अंतराष्ट्रीय महिला दिवस।
प्रधान संपादक आकाश मौर्य सत्य हिंदी टीवी
जनपद सोनभद्र के विकास खंड नगवा के आदिवासी गांव सुअरसोत में एक्शन एड एसोसिएसन द्वारा नेशनल एकेडमी फार सोसल मूवमेंट के तहत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (In ternational Women's Day) को मनाया गया एचआरडी कमलेश कुमार ने बताया बताया की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का खास मकसद समाज में महिलाओं को बराबरी को हक दिलाना, महिला सशक्तीकरण पर जोर देना है। साथ ही किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के मकसद से भी इस दिवस को मनाया जाता है ।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अयोध्या प्रसाद ने बताया की धरती पर मौजूद प्रत्येक महिला के सम्मान से संबंधित है।
क्षेत्र पंचायत सदस्य बसंती देवी ने बताया की महिलाओ का आर्थिक सशक्तीकरण के माध्यम से लैंगिक समानता में लाना है जिसका तात्पर्य है कि आर्थिक सशक्तीकरण होने से महिला-पुरुष में समानता में तेजी आएगी। इसके बिना हम समतामूलक, समावेशी और न्यायसंगत भारत का निर्माण नहीं कर सकते है। सैफुनिषा ने बताया की महिलाओं को अर्थव्यवस्था में समान भागीदारी हासिल करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। शिक्षा, रोजगार, वित्तीय सेवाओं और साक्षरता तक समान पहुंच के बिना, हम लैंगिक समानता तक पहुंचने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं और लड़कियों को अपनी क्षमताओं का निर्माण करने और सीखने, कमाने और नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को मजबूत करने के लिए समान अवसर दिए जाएं।
राजेश्वर खरवार ने बताए कि लैंगिक समानता प्राप्त करने और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तीकरण के लिए डिजिटल युग में नवाचार, तकनीकी परिवर्तन और शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए। महिलाओं के विषय में विकास से तात्पर्य उन्हें लेकर समाज में पूर्वाग्रहों, सोच और विचारों में परिवर्तन करना हैं। राजकुमारी खरवार ने बताया की महिलाओं को समानता की नज़र से देखना, उन्हें अपने विकास के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करना तथा उनकी शिक्षा के लिए कार्य करना, एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना तथा उनका सम्मान करना है। महिलाओं के प्रति समानता के भाव को दर्शाता है तथा साथ ही सतत विकास के पथ को भी प्रदर्शित करता है।शांति देवी ने बताया की अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का मंतव्य यही था कि महिलाओं को उनकी क्षमता प्रदान की जाए तथा महिला सशक्तीकरण किया जाए। तौहीद अली ने बताया की मानसिकता कहें या जड़ता, कहीं न कहीं पुरुष महिलाओ को अपने से नीचा समझता आया है इस मानसिकता में परिवर्तन करना बहुत जरुरी है संतोष कुमार ने कहा की यह केवल महिलाओं को बेहतर अवसर प्रदान करके ही किया जा सकता था। जब महिलाओं को अवसर प्रदान किए गए तथा महिला सशक्तीकरण किया गया तो महिलाओं ने अपने आप को बेहतर रूप से साबित किया। यह महिलाओं की योग्यता और क्षमताओं का परिणाम है जो आज महिलाएं बेहतर स्थिति में हैं। मगर अभी भी महिलाओं के लिए काफी काम किया जाना बाकी है, बहुत से परिवर्तनों के बावजूद आज भी महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है। इस लिए हम सभी मिल जुलकर हम महिलाओ का सम्मान करे और महिलाओ को मुख्यधारा में जोड़े।
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