*आयुष्मान कार्ड धारक को झांसा देकर डॉक्टर द्वारा मरीज का किया गया इलाज* ,*फिर मांगे नगद धनराशी* !

 *आयुष्मान कार्ड धारक को झांसा देकर डॉक्टर द्वारा मरीज का किया गया इलाज* ,*फिर मांगे नगद धनराशी* ! 

*उप संपादक आलोक त्रिपाठी सत्य हिंदी टीवी* 

शंकर हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर द्वारा सरकार के योजनाओं क़ो दिखाया ठेंगा, मरीज़ो से ऐठा जा रहा है मनमानी पैसा,आशाओ एवं ऐनम द्वारा भेजा रहा है डिलेवरी के मरीज 


जिला मिर्जापुर,तहसील चुनार, विकास खण्ड नरायनपुर , थाना अदलहाट अंतर्गत बैकुंठपुर ( रायपुरिया रोड नरायनपर रोड)  में बहुत धड़ल्ले से चलाया जा रहा है प्राइवेट हॉस्पिटल और मरीज के जीवन के साथ किया जा रहा है खिलवाड़,कुछ इसी तरह प्रकरण निजी अस्पताल शंकर हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर की है इस हॉस्पिटल में सरकार के मानक एवं नियमो का जबरदस्त धज्जिया उढ़ाया जा रहा है और उनके मानक का भी उलंघन किया जा रहा है सरकार द्वारा स्वास्थ  व्यवस्था क़ो सुदृढ़ करने के लिये अनेको योजना केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित किये जाते है लेकिन निजी अस्पताल वाले पैसे के बलबूते रजिस्ट्रेशन करवाकर, धड़ल्ले से मरीज़ो के जान के साथ  खेलते है सरकार के योजनाओं क़ो दर किनार करके शंकर हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रभास सिंह एवं उनकी पत्नी आकांक्षा सिंह एक निजी हॉस्पिटल के मालकिन है, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पति एवं पत्नी के पास ऐसा कोई डिग्री नहीं है जिससे ये हॉस्पिटल संचालित कर सके, इनके पास ऐसे कोई डॉक्टर भी नहीं है जो कि इमरजेंसी देख सके,कही ना कही पूछे जाने पर सत्ता तक अपना पहुंच बताकर जबरदस्ती मरीज़ो के जान से खेलते है


प्राप्त जानकारी से ये भी खुलासा हुआ है कि ये आशाओ एवं ऐनम क़ो प्रलोभन देकर कहता है आप लोग डिलेवरी बच्चे का केस लाइए उसमे आपको एक अच्छा एवं मोटी कमिसन आप सभी क़ो देंगे साथ साथ उन सभी आशाओ क़ो इनाम के तौर पर अपने यहां बुलाकर उनको मिक्सर दिया है जो कि इसका फोटो भी वायरल है, आशाओ एवं ऐनम से बोलता है कि आप अगर नार्मल डिलेवरी केस भी लाएंगी उसे मै इमरजेंसी ऑप्रेशन कर दूंगा जिससे आप लोगो क़ो एक अच्छी रकम मिल जाएगी जिसमे 9 से 10 आशाओ का फोटो वायरल है, सरकार कि मंशा है कि गरीबो की इलाज प्रधान मंत्री के योजना के अंतर्गत होना चहिये लेकिन एक मात्र हॉस्पिटल है जो कि फ़र्ज़ी एवं बेकार बताकर एक मोटी रकम के साथ इलाज किया गया है ऐसे डॉक्टरों का हॉस्पिटल की जांच हो! मुख्य चिकित्सा अधिकारी  एवं नोडल अधिकारी इसे सज्ञान में ले और मौके पर आकर जांच कर बंद करवाये !

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